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आज एक बार फिर कुछ मर्दों की छाती चौड़ी हो गई एक माँ और एक 13 साल की बेटी की इज़्ज़त तार तार करके। वो बच्ची जो शायद अपने पापा और चाचा की गोद में सोने की अटखेलियां कर रही होगी,आज कुछ दानवों ने उसे उस मर्दानगी को दिखाया जो नपुंसकता की पराकाष्ठा है। वो पत्नी/माँ आज बेबस हो गई उन दानवों के समक्ष ।
किस धर्म के हैं ये मर्द,किस माँ के ये लाल हैं ?
छाती दर्द से कराह रही है, सोंचने मात्र से रूह काँप रही है । कैसे झेला होगा उस वीभत्स कुसमय को उन लोगों ने।
कुछ खाकी वर्दीवालों ने उनकी करुण पुकार को हास्य का विषय जानकार कुछ समय बर्बाद करना ही मुनासिब समझा।
सियासी हायतौबा शुरू हो चुकी है, कुछ पुलिसवाले सस्पेंड हो गए। माँ-बेटी की तार तार इज़्ज़त को रूपयों की सुई से सिलने के आंकड़े तैयार हो रहे होंगे। ये वाक्या इतना तो गंभीर नहीं होगा की उस परिवार को करोंड़ो रूपए,सरकारी नौकरी या मकान दिए जाएं, ना ही किसी नेता,अभिनेता या खोखली मानसिकता के किसी वरिष्ठ जन को उनके घर जाना चाहिए क्योंकि इससे शायद चुनाव में कुछ खास मदद नहीं मिलेगी।
आजम ख़ाँ की भैंसो को ढूंढ़ने में पूरे सूबे की पुलिस झोंकने वाले तंत्र को शायद इस मसले में इसकी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अपराधी खुद ही आ जायेंगे अपनी गिरफ़्तारी देने।
शायद अब समय आ गया है जब हमें एक बड़े हुज़ूम के साथ ही यात्रा करनी होगी या फिर अपनी माँ,पत्नी एवं बेटियों की इज़्ज़त को यूँही नपुंसकता के समुन्दर में झोंकना होगा।
हम अपनी बच्चियों को ही समझाते रहते हैं की अदब सीखो,यहाँ मत जाओ वहाँ मत जाओ। काश हर माँ बाप अपने बेटों को भी सही संस्कार दे ताकि आगे चलकर वो ऐसे मर्द बनकर अपनी मूंछो पर ताव न दें।
ईश्वर हमारे इस परिवार को शहनशक्ति प्रदान करे।।
देखते है क्या कीमत देते है रहीस लोग इनकी इज़्ज़त की।।
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